पीएम सूर्यघर सोलर रूफटॉप: एक राष्ट्रीय आवश्यकता
पीएम सूर्यघर सोलर रूफ टॉप योजना दिनों दिन लोकप्रिय होती जा रही है। केंद्र सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना की सफलता का कारण है; एक नेशनल पोर्टल पर ही उपभोक्ता, वेंडर, विद्युत विभाग, विद्युत वितरण कंपनी एवं राज्य सरकार को शामिल कर सभी के दायित्वों का पारदर्शितापूर्वक निर्धारण करना। इस प्रकार आवेदन से लेकर सोलर रूफ टॉप की कमीशनिंग एवं अनुदान राशि के भुगतान तक की प्रक्रिया समयबद्ध और जिम्मेदारी के साथ पूर्ण की जाती है।
सरकार ने मार्च 2027 तक एक करोड़ घरों को इस योजना से जोड़ने का लक्ष्य रखा है इसके सापेक्ष अब तक चालू हुए सोलर रूफ टॉप संयंत्रों की संख्या लगभग 10 लाख हो चुकी है। यह ऐसी किसी सरकारी योजना की शानदार प्रगति दर्शाती है जिसमें पब्लिक निवेश और सहभागिता शामिल हो।
जहां देश की ऊर्जा उत्पादन में क्लीन और ग्रीन विद्युत का योगदान बढ़ रहा है वहीं उपभोक्ता को उसके विद्युत बिल खर्चे में काफी कमी भी दिखाई दे रही है। इसके अलावा विद्युत निर्माता बनने का गौरवमयी भाव भी उपभोक्ता के मन में विकसित होता है। उसके दैनिक उपभोग से अधिक बनी बिजली ग्रिड में स्वतः ट्रांसफर हो जाती है।
चीन ने सौर ऊर्जा उत्पादन में विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों को कवर करते हुए बहुत तेज प्रगति की है और पूरे- पूरे गावों को सोलर करने की अपनी योजना में विश्व में एक स्थान बनाया है।
अतः भारत में भी इस योजना को अधिक गति और लोकप्रियता के साथ अपने लक्ष्य की ओर बढ़ाने के लिए निम्न सुझावों पर विचार किया जाना आवश्यक है:
1. सोलर रूफ टॉप सूरज की रोशनी में केवल ऑनग्रिड ही कार्य करता है। अर्थात दिन के समय बिजली ना रहने पर कोई उत्पादन नहीं होता है। बिजली का आना जाना विभिन्न कारणों से छोटे शहरों में प्रायः होता है, ऐसी स्थिति में उत्पादन क्षमता कम हो जाती है। ग्रामीण क्षेत्रो में यह समस्या और भी विषम हो सकती है।
2. चूंकि उपभोक्ता के निवेश और सरकारी अनुदान दोनों की मदद से यह सोलर संयत्र स्थापित हो पाते हैं इसलिए उपभोक्ता को यह विकल्प मिलना चाहिए कि वह उत्पादित बिजली को अपनी जरूरत के अनुसार बैटरी के माध्यम से स्टोर भी कर सके और सरप्लस बिजली को ऑनग्रिड भी भेज सके।
3. एक हाइब्रिड मॉडल जिसमें बैटरी और ऑन ग्रिड में स्विच करने का विकल्प हो, बहुत कारगर हो सकता है। इसमें बिजली के ना रहने पर उत्पादित सौर ऊर्जा जहाँ बैटरी में संरक्षित होगी वहीं बिजली आने पर स्वतः ऑन ग्रिड मोड में स्विच होकर ग्रिड को बिजली ट्रांसफर होने लगेगी। इस प्रकार इंस्टॉल्ड कैपेसिटी और वास्तविक ऊर्जा उत्पादन के बीच अंतर भी ख़त्म हो जाएगा।
4. यदि कोई संयत्र उपभोक्ता की आवश्यकता से लगातार अधिक बिजली बना रहा है तो ग्रिड में भेजी गई बिजली की कीमत का तय दर पर भुगतान किया जाना चाहिए।
5. अपना धन और स्थान देने वाले उपभोक्ता को मुफ़्त बिजली के साथ साथ विद्युत उत्पादन से घर बैठे कुटीर उद्योग की तरह कमाई का उद्देश्य भी दिखाया जाए तो योजना को छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में और लोकप्रियता हासिल हो सकेगी।
Very informative
ReplyDeleteRelevant information and important and detailed suggestions.
ReplyDelete